शिव दयाल मिश्रा
मोबाइल ने आज माला को गायब कर दिया है। एक जमाना था तब भगवान में अटूट विश्वास रहता था। हर समय इंसान ईश्वर को याद रखता था। ईश्वर से डरता था कि कहीं कोई पाप न हो जाए। दुनिया में पाप और पुण्य दोनों बराबर-बराबर चलते हैं। हमारी संस्कृति में पाप और पुण्य के साथ भगवान के नाम का जप प्राथमिकता के साथ किया जाता है। कहीं भगवान की पाठ पूजा होती है तो वहां मंत्रों का जप जरूर होता है। एक समय था जब घर में भगवान के नाम की माला जरूर फेरी जाती थी। माला जपने की इस आदत में बड़े बुजुर्ग हमेशा एक माला गौमुखी अपने हाथ में लिए रहते थे। कुछ अपवाद स्वरूप अब भी दिखाई दे जाएंगे। इसी विषय में किसी कवि ने एक दोहा भी लिखा था कि-
माला फेरत जुग गया, गया न मना का फेर।
कर का मनका छोड़ दे, मन मनका फेर।।
अब ऐसा फेर चला है कि सब के हाथ से माला तो छूट गई और मोबाइल हाथ में आ गया। मोबाइल हाथ में क्या आ गया। सोने तक और प्रात: उठते ही यहां तक कि कभी-कभी तो कुछ लोग रात्रि को उठकर भी मोबाइल चैक करने लगते हैं। मोबाइल के पीछे घरों में कलह होने लग गई। घर में छोटे से लेकर बड़े तक मोबाइल में लगे रहते हैं। मोबाइल में ऐसा क्या आ गया है, या ऐसा क्या ढूंढ़ते हैं जो सुबह से शाम तक ढूंढ़ते हैं मगर वह खोज पूरी होती ही नहीं है। अगर एक घर में चार परिजन एक साथ बैठे हैं तो सब के सब अपने-अपने मोबाइल में लगे रहते हैं। एक-दूसरे से बात तक करने की जुर्रत नहीं समझते। कहीं भी देखो रास्ते में चलते हुए लड़के-लड़कियां, युवा और बच्चे भी मोबाइल में बतियाते हुए चलते हैं। कुछ न कुछ ढूंढ़ते दिख जाएंगे। ऑफिसों में काम के दौरान मोबाइल में लगे रहेंगे। शहर के चौराहों पर ड्यूटी के दौरान महिला हो चाहे पुरुष पुलिस कर्मचारी भी मोबाइल में नजर गडाए देखे जा सकते हैं। कई ऑफिसों में तो मोबाइल को कार्यस्थल से अलग रखवा देते हैं और ड्यूटी समाप्ति पर वापस दिया जाता है। कई बार मोबाइल से बात करते हुए या गाना सुनते हुए चलते रहते हैं और पता ही नहीं चलता कि आगे-पीछे क्या हो रहा है। रेल पटरियों पर इसी के चलते कई युवक-युवतियां अपनी जान गंवा चुके हैं। अब माला का मनका तो छूट गया मगर मोबाइल का की बोर्ड ऐसा हाथ से चिपके जा रहा है कि पता ही नहीं कब और कहां जाकर पीछा छोड़ेगा। यहां तक कि घर में अगर कोई मेहमान भी बैठा है तो बजाए आपस में बातचीत करने के मोबाइल में मशगूल रहते हुए शांति से की-बोर्ड चलता रहता है और हम दुनिया से जुड़कर भी मोबाइल माला के चलते हम अकेले होते जा रहे हैं।
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